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मंगलवार, 13 अप्रैल 2010

दो घंटे से कोशिश कर रही हूँ की कुछ तो लिख डालूं पर अभी यह माध्यम नया है .लिखना हिंदी मे है पर पहले रोमन में लिखो कितना पीड़ादायक है यह तो भुक्तभोगी ही समझ सकता है .हार माननी सीखी नहीं है आज तो कुछ पोस्ट करना ही है.यही सही।
रात के एक बजे नींद गर्मी के कारण खुल गयी तब से ब्लॉग बना रही हूँ .देहरादून जैसा शहर गर्मी से झुलस रहा है ,पानी की कमी है ,आज ही एक मेडिकल कॉलेज ने पानी की कमी के कारण स्टुडेंट्स को एक महीने की छूट्टी दी है.पानी के लिए कहीं झगड़े भी हो रहे हैं .मेरे शहर का बुरा हाल है.पर परवाह किसे है ,हर रोज अनगिनत मकान - दूकान बन रहे है .

3 टिप्‍पणियां:

Udan Tashtari ने कहा…

सभी को इस दिशा में जागरुक होना पड़ेगा. हिन्दी ब्लॉगजगत में आपका स्वागत है.

Himanshu Mohan ने कहा…

इस हालत को मैं बख़ूबी समझ सकता हूँ, क्योंकि अभी ये अनुभव मेरे लिए भी बहुत पुराना नहीं है।
आपको बधाई, अपने पर क़ायम रह कर ब्लॉगिंग शुरू करने के लिए।

बेनामी ने कहा…
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